निकाह के बारे में नौजवानों को रसूलुल्लाह की नसीहत
Nikaah ke bare mein Naujawano ko Rasulullah ki Naseehat
-:निकाह की अहमियत और फज़ीलत:-
-:भाग-2:-
बुखारी और मुस्लिम शरीफ़ की एक हदीस में है कि रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) युवाओं (नौजवान ) को संबोधित करते हुए यह नसीहत फ़रमाया:
अर्थ:- ऐ नौजवानों की जमाअत!
तुममें से जो कोई निकाह की ताक़त रखता हो, उसे चाहिए कि वह निकाह कर ले।
क्योंकि यह शादी नज़र को बहुत नीचे रखने और शर्मगाहों (गुप्तांगों) को बहुत ज़्यादा हिफाज़त (सुरक्षित) रखने का एक ज़रिया है।
और जो कोई विवाह न कर सके, वह रोज़ा रखे, क्योंकि, रोज़ा उसकी कामुकता और जवानी को दबा देगा।
(मुस्लिम शरीफ़: 01/449, हदीस नं: 1400)
(बुखारी शरीफ़: 02/758, हदीस नं: 4875+5066)
मतलब यह है कि निकाह इज्ज़त और पाक-दामनी की हिफाज़त के लिए महफूज़ और सुरक्षित रास्ता है।
चुंकि पाक-दामनी और खूद को गुनाहों से हिफाज़त व रक्षा करना ज़रूरी है।
और उसका उल्टा, ऐसा काम करना हराम है जो कामुकता (Sex) और वासना की ज़यादती और ईमान की कमज़ोरी की वजह से होते हैं।
जवानी में शहवत (वासना) सबसे ज़्यादा होती है, इसलिए पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उन्हें संबोधित करते हुए पाक-दामनी की तरफ रहनुमाई फ़रमाई कि:-
जो आदमी निकाह करने के लिए महर, नफक़ह (खाने-पीने) और रहने के लिए घर-मकान का इंतेजा़म की ताक़त रखता हो तो उसे विवाह कर लेना चाहिए।
इसलिए कि शादी नज़र को बहुत नीचे रखने और शर्मगाहों (गुप्तांगों) को बहुत ज़्यादा हिफाज़त (सुरक्षित) रखने का एक ज़रिया है।
हर ताकतवर मुसलमान को इस पर अमल करना चाहिए।
ये सारी बातें “किताबुल-मसाइल” नामी किताब से ली गई हैं।
लेखक: मुफ़्ती सलमान मंसूरपुरी साहब।
पूर्व शिक्षक: जामिया क़ासमिया मदरसा शाही मुरादाबाद।
वर्तमान शिक्षक: जामिया दारुल उलूम देवबंद, उत्तर प्रदेश, भारत।
निकाह के बारे में रसूलुल्लाह की नसीहत
निकाह के बारे में नौजवानों को रसूलुल्लाह की नसीहत
ऐ नौजवानों की जमाअत!
तुममें से जो कोई निकाह की ताक़त रखता हो, उसे चाहिए कि वह निकाह कर ले।
क्योंकि यह शादी नज़र को बहुत नीचे रखने और शर्मगाहों (गुप्तांगों) को बहुत ज़्यादा हिफाज़त (सुरक्षित) रखने का एक ज़रिया है।
(मुस्लिम शरीफ़: 01/449, हदीस नं: 1400)
(बुखारी शरीफ़: 02/758, हदीस नं: 4875+5066)
अस्सलामु अलैकुम।
प्यारे पाठको!
मेरा नाम मोहम्मद नजामुल हक है, मैं एक इस्लामी मदरसे का शिक्षक हूं।
मैं मदरसा शिक्षा के साथ-साथ ऑनलाइन इस्लामिक लेख भी लिखता हूं, ताकि लोगों को सही ज्ञान मिल सके।
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