नमाज़ हर गुनाह और बुराई से रोकती है
Namaz her Gunaah aur Buraai se rokti hai
नमाज़ का एक बड़ी खूबी (बड़ा गुण) यह है कि नमाज़ अदा करने वाले का ज़मीर ज़िन्दा (विवेक जीवित) रहता है, जो उसे हर बुरे कामों से रोकता रहता है।
और जल्दी या देर से नमाज़ की बरकत से इन्सान को बड़े से बड़े गुनाहों (पापों) से बचने की दौलत (धन) नसीब (प्राप्त) होता है।
सूरह अल-अनकबूत की आयत 45 में अल्लाह तबारक व ताला का फ़रमान है:
(العنكبوت: ٤٥)
अर्थ:-
बेशक, नमाज़ बेहयाई (बेशर्मी) और अशोभनीय कामों से रोकती है।
एक व्यक्ति ने हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से शिकायत की कि एक आदमी रात भर नमाज़ पढ़ता है और सुबह उठकर चोरी करता है।
तो पैगंबर ﷺ ने उत्तर (जवाब) दिया:
“यह नमाज़ जल्द ही उसे ऐसा करने से रोक देगी।”
(इब्ने कसीर: 1018)
और जो आदमी नमाज़ पढ़ने के साथ साथ किसी गुनाह का पक्का आदी हो,
(यानी नमाज़ भी पड़ता है और गुनाह भी करता रहता है), तो उसे अपनी नमाज़ों की जायज़ा लेनी (जांच करनी) चाहिए कि,
कहीं वह नमाज़ में ऐसी गलती तो नहीं कर रहा है कि नमाज़ का असर ज़ाहिर नहीं हो रहा।
कुछ मौकूफ रिवायतों में मरवी है:
“जिस व्यक्ति की नमाज़ उसे बेहयाई और गुनाहों से न रोक सके, तो शायद (मानो) उसकी नमाज़ ही नहीं होती”
(इब्ने कसीर: 1018)
इसलिए अपनी इसलाह (खुद को बेहतर बनाने) के लिए नमाज़ की को आदाब और शर्तों के साथ अदा करनी चाहिए।
जितना ज़्यादा एहतेमाम और खुशू और खुज़ू के साथ नमाज़ पढ़ी जाएगी उतना ही गुनाहों से नफ़रत और उससे बचने का जज़्बा पैदा होगा।
और अल्लाह के हुक्म की फरमावरदी (आज्ञापालन) जज़्बा पैदा होगा, इन शा अल्लाह।
अस्सलामु अलैकुम।
प्यारे पाठको!
मेरा नाम मोहम्मद नजामुल हक है, मैं एक इस्लामी मदरसे का शिक्षक हूं।
मैं मदरसा शिक्षा के साथ-साथ ऑनलाइन इस्लामिक लेख भी लिखता हूं, ताकि लोगों को सही ज्ञान मिल सके।
आप हमारे साथ जुड़े रहें और सही जानकारी से लाभान्वित हों। यदि आपके पास कोई प्रश्न है या आप हमारी किसी गलती के बारे में सूचित करना चाहते हैं, तो आप हमसे संपर्क कर सकते हैं, जज़ाकुमुल्लाहु खैरन।