मुसलमानों के ख़राब अख्लाक और रसूल (स.अ.व.) की नसीहत
Musalno ke Kharab Akhlaq aur Rasool (s.a.w.) ki Naseehat
Islami Akhlaq kaisa hona chahiye?
अबू हुरैरा (र.अ.) से रिवायत है। उन्होंने फ़रमाया, अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) फ़रमाया:-
एक दूसरे से ईर्ष्या (जलन) मत करो, और क़ीमत बढ़ाकर (खरीदने का नाटक करके) धोखा मत दो।
एक दूसरे से नफरत मत करो।
एक-दूसरे को नीची दृष्टि से न देखें।
यदि तुम में से कोई खरीद रहा है और अभी सौदा पूरा नहीं हुआ, तो कोई दुसरा शख़्स उस चीज़ को खरीदने या बेचने की पेशकश न करें।
हे अल्लाह के बन्दों!
तुम आपस में एक दूसरे के भाई भाई बन जाओ। मुसलमान मुसलमानों के भाई हैं।
वह उस पर ज़ुल्म व अत्याचार नहीं करेगा, उसका अपमान नहीं करेगा, उसका तिरस्कार नहीं करेगा।
ताकवा यानी ‘धर्म भिरुता यहाँ है’ यह कहते हुए अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने तीन बार अपनी छाती (दिल) की ओर इशारा किया।
किसी मुस्लिम भाई को छोटा करना बुरे अख्लाक होने के लिए काफी है (अर्थात् ऐसे अपमान से पाप लगना तय है)।
एक मुसलमान के लिए दूसरे मुसलमानों को क़त्ल करना, उसकी संपत्ति हड़पना और उसके सम्मान को ठेस पहुंचाना हराम है।
बुखारी: 6066, मुस्लिम 2563, 2564 तिर्मिज़ी 1134, 1988, नसाई 3239, 4496, अबू दाऊद 3438, 34,43, इब्न माजा 1867, 2172,2174, अहमद 7670, 7815, मालेक 1391, 1684।
इसलिए सभी मुस्लिम भाइयों से अनुरोध है कि वे इस हदीस पर अमल करें।
और खबरदार वोट के लिए एक मुस्लिम से दूसरे मुस्लिम के बीच दुश्मनी न रखें।
वोट आएंगे और वोट जाएंगे लेकिन सबसे पहले हमारी पहचान ये है कि हम मुसलमान हैं।
अल्लाह हम सबको इस पर अमल करने की तौफीक अता फरमाए।
अस्सलामु अलैकुम।
प्यारे पाठको!
मेरा नाम मोहम्मद नजामुल हक है, मैं एक इस्लामी मदरसे का शिक्षक हूं।
मैं मदरसा शिक्षा के साथ-साथ ऑनलाइन इस्लामिक लेख भी लिखता हूं, ताकि लोगों को सही ज्ञान मिल सके।
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